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कोलकाता, पश्चिम बंगाल — सामाजिक न्याय एवं अधिकारिता संबंधी संसद की स्थायी समिति की एक महत्वपूर्ण बैठक का आयोजन कोलकाता में किया गया, जिसमें केंद्र सरकार के अधीन कॉल इंडिया, दामोदर घाटी निगम (DVC), जनजातीय कार्य मंत्रालय (Tribal Affairs Ministry) और अल्पसंख्यक कार्य मंत्रालय (Minority Affairs Ministry) के शीर्ष अधिकारी शामिल हुए। इस बैठक में अनुसूचित जनजाति (ST), अनुसूचित जाति (SC) और दिव्यांगजनों के आरक्षण की स्थिति के साथ-साथ कॉर्पोरेट सोशल रिस्पॉन्सिबिलिटी (CSR) फंड के क्रियान्वयन की गहराई से समीक्षा की गई।
इस विशेष बैठक में राजस्थान के बांसवाड़ा से लोकसभा सांसद और भारत आदिवासी पार्टी (BAP) के लोकप्रिय जनप्रतिनिधि राजकुमार रोत भी शामिल हुए। उन्होंने न केवल भाग लिया, बल्कि बहुत ही सटीक और ठोस सवालों के साथ समिति के एजेंडे को मजबूती दी।
राजकुमार रोत की सक्रिय भागीदारी
बैठक के दौरान राजकुमार रोत ने SC/ST और दिव्यांगों को दिए जाने वाले संवैधानिक अधिकारों की जमीनी स्थिति पर सवाल उठाए। उन्होंने कहा,
"आरक्षण कोई उपकार नहीं है, ये हमारा अधिकार है। लेकिन बड़े सार्वजनिक संस्थानों में आज भी इसकी अनदेखी की जा रही है।"
उन्होंने कॉल इंडिया और दामोदर घाटी निगम जैसे केंद्रीय उपक्रमों से यह पूछा कि उनकी मौजूदा कर्मचारियों की सूची में कितने पद आरक्षित वर्गों के लिए स्वीकृत हैं, और उनमें से कितनों पर नियुक्तियाँ की गई हैं।
CSR फंड पर उठे सवाल
राजकुमार रोत ने CSR (कॉर्पोरेट सोशल रिस्पॉन्सिबिलिटी) फंड के इस्तेमाल पर भी सवाल खड़े किए। उन्होंने अधिकारियों से पूछा कि आखिर यह फंड किन क्षेत्रों में, किन समुदायों के लिए और किस प्रकार उपयोग में लाया जा रहा है?
उन्होंने कहा कि कई बार देखा गया है कि CSR फंड का बड़ा हिस्सा शहरी और अपेक्षाकृत संपन्न क्षेत्रों में खर्च कर दिया जाता है, जबकि आदिवासी और पिछड़े इलाकों की ज़रूरतों की अनदेखी हो जाती है।
"जब कंपनियाँ जनजातीय क्षेत्रों से संसाधन निकाल रही हैं, तो उनका पहला कर्तव्य बनता है कि वे उन्हीं समुदायों के विकास में निवेश करें," उन्होंने कहा।
दिव्यांगजनों की स्थिति पर चिंता
बैठक में दिव्यांगजनों के लिए आरक्षण की स्थिति और उनके लिए चलाई जा रही योजनाओं पर भी चर्चा हुई। राजकुमार रोत ने इस मुद्दे पर कहा कि समाज के इस वर्ग को आज भी बुनियादी सुविधाओं और रोजगार के अवसरों में उचित प्रतिनिधित्व नहीं मिल पा रहा है।
उन्होंने सुझाव दिया कि CSR के तहत दिव्यांगजनों के लिए विशेष स्किल डेवलपमेंट प्रोग्राम, स्कूलों में सहायक सुविधाएं, और स्वास्थ्य केंद्रों में विशेष सेवाएं शुरू की जाएं।
मंत्रालयों से जवाबदेही की मांग
राजकुमार रोत ने ट्राइबल अफेयर्स और माइनॉरिटी अफेयर्स मंत्रालय से भी यह पूछा कि अब तक किन-किन योजनाओं को किस स्तर तक कार्यान्वित किया गया है और उनका प्रभाव कितना रहा है। उन्होंने मंत्रालयों से पारदर्शी रिपोर्ट प्रस्तुत करने की मांग की, जिससे वास्तविक स्थिति को समझा जा सके।
उन्होंने यह भी सुझाव दिया कि मंत्रालयों को अपने अधिकारियों को जनजातीय क्षेत्रों में नियमित दौरे के निर्देश देने चाहिए ताकि वे जमीनी सच्चाई को समझ सकें।
दामोदर घाटी निगम और कॉल इंडिया के प्रेजेंटेशन पर सवाल
बैठक में दोनों सार्वजनिक उपक्रमों द्वारा प्रस्तुत रिपोर्टों और पावरपॉइंट प्रेजेंटेशन पर भी सवाल उठाए गए। राजकुमार रोत ने कहा कि सिर्फ कागजों पर आंकड़े दिखाना पर्याप्त नहीं है। उन्होंने कहा कि
“प्रभाव ज़मीन पर दिखना चाहिए। यदि नियुक्तियाँ नहीं हो रही हैं, योजनाएँ लागू नहीं हो रहीं, तो यह समिति की जिम्मेदारी बनती है कि वह सख्त सिफारिश करे।”
समिति की आगे की दिशा और सिफारिशें
बैठक के अंत में समिति ने सभी संस्थानों को निर्देश दिए कि वे अपने आरक्षण, CSR फंड और दिव्यांगजनों की योजनाओं से संबंधित विस्तृत और पारदर्शी रिपोर्ट जल्द से जल्द प्रस्तुत करें। साथ ही, यह भी निर्देश दिया गया कि भविष्य की बैठकों में संबंधित जिलों के प्रतिनिधियों और स्थानीय संगठनों को भी बुलाया जाए।
राजकुमार रोत ने समिति से अनुरोध किया कि अगली बैठक जनजातीय क्षेत्रों में की जाए, ताकि वहां की समस्याओं को प्रत्यक्ष रूप से देखा और समझा जा सके।
