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ईरान की तरफ से किए सबसे बड़े मिसाइल और ड्रोन हमले को नाकाम करने के तीन दिन बाद इजरायल ने अपने उस ऑपरेशन के नाम का खुलासा किया है। इजरायल ने बताया कि 13 अप्रैल की देर रात ईरान ने 300 से ज्यादा मिसाइलों और किलर ड्रोन से उसके ऊपर हमला बोल दिया था, लेकिन ऑपरेशन 'आयरन शील्ड'में उसने अपने सहयोगियों की मदद से 99 प्रतिशत ईरानी मिसाइलों और ड्रोन को हवा में ही मार गिराया। अधिकांश ईरानी हमले को इजरायल की सीमा में घुसने से पहले ही रोक दिया गया। इसमें इजरायल के बहुस्तरीय हवाई रक्षा कवच की प्रमुख भूमिका रही। आइए जानते हैं क्या है इजरायल का ऑपरेशन आयरन शील्ड और इसने किस तरह से ईरान के हमले को नाकाम कर दिया।
इजरायल की रक्षा प्रणाली बहुस्तरीय कवच से मिलकर तैयार हुई है। इसमें छोटी दूरी का आयरन डोम सिस्टम है तो मध्यम दूरी के लिए डेविड स्लिंग है। लंबी दूरी के लिए इजरायल का एरो-2 और एरो-3 वायु रक्षा मिसाइल प्रणाली है। शनिवार को हुए ईरानी हमले में एरो डिफेंस सिस्टम ने प्रमुख भूमिका निभाई थी। देश की रक्षा के लिए एरो का ये पहला टेस्ट भी था, जिसमें इसने खुद को सफलतापूर्वक साबित किया है।
एरो-2 और एरो-3 इजरायल की लंबी दूरी को ध्यान में रखकर की तैयार की गई हवाई रक्षा प्रणाली है। इसे इजरायल की एयरोस्पेस इंडस्ट्रीज ने अमेरिका के साथ मिलकर तैयार किया है। इस पर 1980 के दशक के आखिरी वर्षों में काम शुरू हुआ था। इसके बाद एरो-2 मिसाइल विकसित हुई। आगे चलकर अत्याधुनिक एरो-3 का परीक्षण किया गया और इसे इजरायल के हवाई रक्षा प्रणाली में शामिल किया गया। एरो मिसाइल का लक्ष्य हवा में लंबी दूरी के लक्ष्यों को नष्ट करना है। इसमें ग्रीन पाइन फायर कंट्रोल रडार लगा है, जो 2400 किलोमीटर की दूरी तक टारगेट का पता लगा सकता है। एक साथ 14 लक्ष्यों को भेदने के साथ ही यह 100 किलोमीटर की ऊंचाई पर लक्ष्य को निशाना बना सकती है।
डेविड स्लिंग मध्यम दूरी की वायु रक्षा प्रणाली है, जो 100 से 200 किमी की दूरी पर लक्ष्य का पता लगाकर उसे नेस्तनाबूद कर सकती है। इसे क्रूज मिसाइलों और ड्रोन को इंटरसेप्ट करने के उद्येश्य से विकसित किया गया है। इजरायल ने इसे अमेरिका के साथ मिलकर तैयार किया है।
इजरायल का आयरन डोम सिस्टम दुनिया में सबसे चर्चित है। छोटी दूरी के हमलों को रोकने के लिए विकसित यह सिस्टम 2011 के बाद से अब तक दुश्मन के हजारों राकेट और मिसाइल को ध्वस्त कर चुका है। गाजा और लेबनान की तरफ से होने वाले रॉकेट हमलों के दौरान यह बेहद सफल रहा है। शहरों की रक्षा करने के हिसाब से बनाया गया ये डिफेंस सिस्ट 4 से 70 किमी की दूरी तक लक्ष्यों को निशाना बनाकर उन्हें नष्ट कर सकता है। एक्सपर्ट का कहना है कि खतरों को देखते हुए इजरायल ने इसकी क्षमता में विस्तार किया है।