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जयपुर: युवाओं के पैरों के छाले की कसम खाने वाले सचिन पायलट ने मांगे पूरी नहीं होने पर आंदोलन तो नहीं किया लेकिन अब दूसरा रास्ता अपना लिया है. इन दिनों आ रही तस्वीरों से तो साफ लग रहा है कि, पायलट अब अपने घर में ही अपने और युवाओं के हक की बात करते रहेंगे. सचिन पायलट के लिए सबसे मजबूत कड़ी ये है कि, उन्हें प्रदेश के युवाओं का साथ मिलता है. तभी तो अल्टीमेटम को एक महीना निकल गया लेकिन युवाओं का पायलट पर भरोसा नहीं टूटा.
भरोसा तो गांधी परिवार को भी खूब है. तभी तो गहलोत खेमा कार्रवाई की मांग करता रहा लेकिन कोई कार्रवाई नहीं हुई और आखिर में एक बार फिर से सचिन पायलट को मनाने में कामयाबी हासिल की. नाराजगी दूर की गई और जैसे ही पायलट ने साथ में चुनाव लड़ने की बात कही वैसे ही राजस्थान कांग्रेस संगठन के मजबूत होने की चर्चा होने लगी. अप सब नेता एक ही भाषा बोलते हुए नजर आ रहे हैं. और पायलट भी हर मोर्चे पर दिखाई दे रहे हैं. आगे की रणनीति बनाई जा रही है. जिसमें पायलट की भूमिका साफ दिखाई दे रही है.
हरीश चौधरी से मुलाकातों की तस्वीरें तो आपने देखी ही होंगी. 13 जुलाई को भी दोनों के बीच खूब बातचीत हुईऔर अब प्रदेश कांग्रेस के तीन सहप्रभारियों के साथ सचिन पायलट की मुलाकात को लेकर भी खूब चर्चा हो रही है. आपको बता दें कि, तीनों सहप्रभारी, अमृता धवन, वीरेंद्र राठौड और काजी निजामुद्दीन सचिन पायलट के आवास पर पहुंचे. सभी के बीच करीब डेढ़ घंटे बातचीत हुई. इसके बाद कयासों का दौर शुरू हो गया है. माहौल से तो कुछ ऐसा ही लग रहा है कि, सचिन पायलट ही विधानसभा चुनाव की कमान संभालने वाले हैं. बड़ी जिम्मेदारी आलाकमान ने उन्हें सौंपी है. जिसमे पायलट अपने मिशन 2023 की तैयारी में लग गए हैं. तीनों सहप्रभारियों के अलावा पायलट की विधानसभा में एंट्री और पूर्व मुख्यमंत्री वसुंधरा राजे से बातचीत की भी खूब चर्चा हो रही है.