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राजस्थान विधानसभा चुनाव में कांग्रेस के लिए अब तक सबसे बड़ी चिंता की बात यही थी कि सीएम अशोक गहलोत और सचिन पायलट साथ दिखाई नहीं दे रहे हैं। लेकिन, दीपावली की आतिशबाजी के बीच कांग्रेस का कैंपेन देखने वाली डिजाइन बॉक्स्ड ने गहलोत और सचिन पायलट को कम से कम पोस्टर्स में एक साथ लाकर खड़ा कर दिया है। प्रदेश में कई जगह अब गहलोत और पायलट के साथ-साथ वाले पोस्टर्स लगाए जा रहे हैं जिन्हें लेकर सोशल मीडिया पर चर्चा भी जबरदस्त है।
गुर्जर वोटों के छिटकने का डर, कर्नाटक फार्मूला लागू
दरअसल, कांग्रेस के सर्वे से लेकर सोशल मीडिया प्लेटफार्म पर चल रही तमाम खबरों में इस बार गुर्जर वाटों का रुझान एंटी कांग्रेस बताया जा रहा है। गुर्जर इस बात से नाराज बताए जा रहे हैं कि कांग्रेस में सचिन पायलट को साइडलाइन कर दिया गया। चुनावों के बीच इस तरह की चर्चा पार्टी को डैमेज कर सकती है। इसलिए इन चर्चाओं को थामने के लिए कांग्रेस कैंपेन में कर्नाटक फार्मूला लागू किया गया है। कर्नाटक में भी चुनाव से पहले पीसीसी अध्यक्ष डीके शिवकुमार और सीएम प्रत्याशी सिद्धारमैया के बीच मनमुटाव की खबरें तेजी से वायरल हुईं थीं। इसका दोनों नेताओं के समर्थकों पर असर पड़ रहा था। कांग्रेस ने अपने कैंपेन में दोनों नेताओं को एक साथ दिखाना शुरू किया तो चुनाव में इसका फायदा भी मिला।
गहलोत-पायलट पर क्या है सोशल मीडिया का रुख?
राजस्थान के चुनावी पोस्टर्स में गहलोत और पायलट को एक साथ लाए जाने के बाद सोशल मीडिया के कई यूजर्स के कमेंट आ रहे हैं। एक यूजर ने लिखा...आज पता चला वोट बड़ी चीज है! एक अन्य यूजर ने पायलट और गहलोत की बाइक पर बैठे फोटो को इसमें साझा करते हुए पूछा...जनता प्रतीक्षा कर रही है कि इस बार ये योजना धरातल पर उतरेगी या नहीं।