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"राजस्व सुधार, श्रम कानून संशोधन और एग्रीटेक हब की सौगात: मंत्रि-परिषद बैठक में लिए गए बड़े फैसले"


राजा भभूत सिंह के शौर्य और बलिदान को समर्पित मंत्रि-परिषद की बैठक पचमढ़ी के राजभवन में संपन्न
मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव की अध्यक्षता में मंत्रि-परिषद की महत्वपूर्ण बैठक पचमढ़ी स्थित राजभवन में आयोजित की गई। बैठक के दौरान नर्मदापुरम जिले के हित में एक बड़ा निर्णय लिया गया, जिसमें पवारखेड़ा में स्थापित कम्पोजिट लॉजिस्टिक हब परियोजना को केसर मल्टी मॉडल लॉजिस्टिक लिमिटेड से डी.पी. वर्ल्ड मल्टीमॉडल लॉजिस्टिक प्राइवेट लिमिटेड को स्थानांतरित करने की मंजूरी दी गई।
राजस्व कार्यालयों का पुनर्गठन
बैठक में प्रमुख राजस्व आयुक्त और आयुक्त भू-अभिलेख कार्यालयों के पुनर्गठन का निर्णय लिया गया। दोनों कार्यालयों के विलय के बाद नया नाम "आयुक्त भू-संसाधन प्रबंधन कार्यालय" होगा। इसमें एक मुख्यालय और एक सहायक मुख्यालय शामिल होगा। वर्तमान जरूरतों के अनुसार अधीक्षक भू-अभिलेख और सहायक अधीक्षक भू-अभिलेख को क्रमशः तहसीलदार और नायब तहसीलदार पद पर समायोजित किया गया है।
पुनर्गठन के पश्चात न्यायालयीन और गैर-न्यायालयीन कार्यों में अधिक दक्षता आएगी। न्यायालयीन कार्यों के लिए अलग तहसीलदार की नियुक्ति से राजस्व मामलों की सुनवाई नियमित रूप से हो सकेगी, जिससे प्रकरणों के निराकरण में तेजी आएगी।
श्रम कानूनों में सरलीकरण
राज्य में श्रम कानूनों को सरल और उद्योग अनुकूल बनाने के लिए तीन प्रमुख श्रम कानूनों में संशोधन की स्वीकृति दी गई है।
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ठेका श्रम अधिनियम, 1970: इसके अंतर्गत ठेका श्रमिकों की संख्या सीमा 20 से बढ़ाकर 50 कर दी गई है।
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कारखाना अधिनियम, 1948:
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जहां बिजली की सहायता से निर्माण कार्य होता है वहां श्रमिकों की न्यूनतम संख्या 10 से बढ़ाकर 20 की गई।
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बिना बिजली के काम करने वाले कारखानों में यह सीमा 20 से बढ़ाकर 40 कर दी गई।
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औद्योगिक विवाद अधिनियम, 1947: पहले जहां सिर्फ लोक उपयोगी सेवाओं में हड़ताल और तालाबंदी से पूर्व सूचना देना अनिवार्य था, अब यह नियम सभी औद्योगिक संस्थानों पर लागू किया जाएगा।
मध्यप्रदेश में एग्रीटेक इनोवेशन हब की स्थापना
तकनीकी आधारित कृषि को बढ़ावा देने और कृषि उत्पादों की गुणवत्ता सुधारने हेतु "एग्रीटेक हब/इनोवेशन हब फॉर एग्रीकल्चर" की स्थापना इंदौर में की जाएगी। इस परियोजना की स्थापना और संचालन का जिम्मा मध्यप्रदेश राज्य इलेक्ट्रॉनिक्स विकास निगम (MPSEDC) को सौंपा गया है।
परियोजना को केंद्र सरकार के इलेक्ट्रॉनिक्स और सूचना प्रौद्योगिकी मंत्रालय द्वारा 14.98 करोड़ रुपये की लागत से स्वीकृति दी गई है। इसमें:
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केंद्र सरकार का योगदान: ₹11.32 करोड़
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राज्य सरकार (विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी विभाग): ₹2 करोड़
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आईआईटी इंदौर: ₹1.10 करोड़
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टेकरीमा एग्रो रिसर्च एंड डेवेलपमेंट प्रा. लि.: ₹25 लाख
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देवदित्य टेक्नोक्रेट्स एलएलपी: ₹10 लाख
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कॉर्नस्टोन सॉल्यूशन्स: ₹10 लाख
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रुची हाई रिच सीड्स प्रा. लि.: ₹10 लाख
एग्रीटेक हब के उद्देश्य और लाभ
यह हब कृषि क्षेत्र में आधुनिक तकनीकों को बढ़ावा देने और किसानों तक उन्नत तकनीक पहुंचाने का कार्य करेगा। परियोजना का संचालन आईआईटी इंदौर द्वारा ICAR-IISR इंदौर, ICAR-CIAE भोपाल और C-DAC पुणे के सहयोग से किया जाएगा।
प्रमुख उद्देश्य:
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कृषि में उत्कृष्टता केंद्र की स्थापना
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46 डीप एग्रीटेक कार्यक्रम
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40 तकनीकी आविष्कार
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25 पेटेंट आवेदन
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8 स्टार्टअप्स का इनक्यूबेशन
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10 तकनीक लाइसेंसिंग समझौते
यह हब आधुनिक कृषि तकनीकों जैसे जीनोमिक्स, फेनोमिक्स, ड्रोन आधारित इमेजिंग, बीज गुणवत्ता परीक्षण, उच्च प्रदर्शन कंप्यूटिंग और मशीन लर्निंग को बढ़ावा देगा।
राज्य सरकार द्वारा लिए गए ये निर्णय न केवल प्रशासनिक दक्षता और पारदर्शिता को बढ़ावा देंगे, बल्कि कृषि, श्रम और लॉजिस्टिक्स के क्षेत्र में भी महत्वपूर्ण सुधार लेकर आएंगे। मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव के नेतृत्व में प्रदेश तेजी से तकनीकी और प्रशासनिक प्रगति की दिशा में अग्रसर हो रहा है।
