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Vote / Poll

BJP और Congress के बीच क्या Rajasthan में Aam Aadmi Party अपनी जगह बना पाएगी ?

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अब जनता कांग्रेस-भाजपा से परेशान हो चुकी है
30%
'आप' की वजह से कांग्रेस और भाजपा में चिंता है
10%
केजरीवाल राजस्थान में कामयाब नहीं हो पाएंगे
90%
राजस्थान में भी 'आप' की सरकार बननी चाहिए
70%
Total count : 138

Vote / Poll

डेगाना विधानसभा क्षेत्र से आप किसको भाजपा का जिताऊँ प्रत्याशी मानते है ?

अजय सिंह किलक
56%
शिव देशवाल
26%
अन्य
18%
Total count : 7524

Vote / Poll

कर्नाटक का मुख्यमंत्री किसे बनाया जा सकता है?

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सिद्देरमैया
67%
डीके शिवकुमार
13%
मल्लिकार्जुन खड़गे
13%
बता नहीं सकते
7%
Total count : 15

Vote / Poll

फिल्मों के विवादित होने के क्या कारण हैं?

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समुदाय विशेष को टारगेट करना
33%
राजनीतिक लाभ लेने के लिए
11%
फिल्मों को हिट करने के लिए
44%
कुछ बता नहीं सकते
11%
Total count : 9

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झुंझुनूं में झुग्गी झोपड़ी के बच्चों को फ्री में पढ़ा रही किसान की बेटी, सुमन ने खोली 'ममता की पाठशाला'

झुंझुनूं में झुग्गी झोपड़ी के बच्चों को फ्री में पढ़ा रही किसान की बेटी, सुमन ने खोली 'ममता की पाठशाला'
Neha Joshi
April 15, 2024

10 सालों से एक ऐसा नाम जो काफी चर्चाओं में है जो इस वक्त किसी परिचय का मोहताज नहीं है। कहते हैं इंसान अपने कर्म से ही बढ़ता है। जिसे सुमन चौधरी ने चरितार्थ कर दिखाया। सुमन ने एक किसान प्रभु सिंह के घर में जन्म लिया था। उस मां शारदा देवी को भी सैल्यूट करते है जिन्होंने एक ऐसी बेटी को जन्म दिया जो आज समाज के साथ-साथ बेजुबान जानवरों से लेकर गरीबों की मसीहा बनती जा रही है। बता दे कि 41 वर्षीय सुमन ने अगस्त 2019 में एक दिन झुग्गी झोपड़ी में अपने बेटे का जन्मदिन मनाने गई तो छोटे बच्चों का दर्द देखा नहीं गया और उसने उनको पढ़ाने की ठान ली। यहां ना शालादर्पण पर हाजिरी लगती है और ना ही कोई वेतन मिलता है। फिर भी शिक्षिका रोज पहुंचती है और बच्चे भी पढ़ाई के लिए उपस्थित रहते हैं। यह है मैडम सुमन चौधरी की पाठशाला ।

कुछ समय बाद पुलिस लाइन के सामने रेलवे फाटक के पास निशुल्क पाठशाला खोल दी। अब इस पाठशाला में करीब 35 बच्चे नियमित पढ़ाई कर रहे हैं। पढ़ाने के बदले सुमन चौधरी कोई शुल्क नहीं लेती, बल्कि हर दिन अपनी जेब से रुपए खर्च कर रही है। इस पाठशाला का नाम 'मां की ममता पाठशाला' रखा है। पाठशाला का समय सुबह 9 बजे से दोपहर 2 बजे तक का है। रविवार और अन्य अवकाश पर छुट्टी रहती है। निःशुल्क पढ़ाने की यह शुरुआत सुमन ने चार-पांच बच्चों के साथ की थी। किसी को टॉफी तो किसी को ड्रेस दिलाने के बहाने बुलाया। देखते ही देखते वहां बच्चों की संख्या बढ़ने लगी।

बीएड कर चुकी सुमन चौधरी ने बताया कि शुरुआत में बड़ी मुश्किल से दस बच्चे आए। उनको रोज टॉफी, ड्रेस व अन्य लालच दिया। अब बच्चों की संख्या बढ़कर करीब 35 हो गई है। पाठशाला की शुरुआत 16 अगस्त 2019 को हुई। इस पाठशाला में अब लोग सहायता भी देने लगे हैं, कुछ लोग अपने बच्चों का जन्मदिन भी मनाने लगे हैं। कोई कपड़े दे रहा है तो कोई पुस्तक देकर जा रहा है किसी ने दरी पट्टी तो किसी ने श्याम पट्ट दिया है।

ममता पाठशाला में पढ़ने आने से पहले अधिकतर बच्चे अपने मजदूर माता-पिता के साथ मजदूरी स्थल पर चले जाते थे, वहां अपनो से छोटे भाई-बहनों को संभालते थे। यहां पढ़ने वाले 90 फीसदी बच्चे ऐसे कभी स्कूल नही गए लेकिन बहुत कम समय में अब गिनती स्वर, व्यंजन व एबीसीडी सीख चुके। सात बच्चे ऐसे हैं जो दिन में सरकारी स्कूल में पढ़ते हैं और शाम को ममता की पाठशाला में चले आते हैं।

झुंझुनूं में झुग्गी झोपड़ी के बच्चों को फ्री में पढ़ा रही किसान की बेटी, सुमन ने खोली 'ममता की पाठशाला'