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रविंद्र भाटी का दोस्त गोदारा हो गए बेवफा क्या विधायक बनने के बाद बदल गए भाटी ?
बाड़मेर-जैसलमेर लोकसभा सीट राजस्थान में नहीं, बल्कि देशभर में हॉट सीट बनी हुई है. इस सीट पर निर्दलीय उम्मीदवार रविंद्र सिंह भाटी के चुनावी मैदान में उतरने से मुकाबला त्रिकोणीय हो गया है. उनका मुकाबला बीजेपी के मौजूदा सांसद और केंद्रीय मंत्री कैलाश चौधरी के साथ कांग्रेस उम्मीदवार उम्मेदाराम बेनीवाल से है. भाटी का प्रचार संसदीय क्षेत्र ही नहीं, बल्कि पूरे देश ने देखा. प्रवासी राजस्थानी कार्यक्रम के दौरान उन्होंने धुंआधार प्रचार किया.लेकिन चर्चा एक खास शख्स को लेकर भी है, जो आजकल उनके साथ दिखाई नहीं पड़ रहा है. हम बात कर रहे हैं भाटी के खास दोस्त अशोक गोदारा की. वो जोड़ी जिसने विधानसभा चुनाव में धमाल मचाया और दिग्गजों को मिलकर शिकस्त दी. अब वो जोड़ी इस चुनाव में टूट गई है. क्योंकि गोदारा ने बीजेपी ज्वॉइन करने के बाद कैलाश चौधरी के समर्थन में प्रचार भी शुरू कर दिया है.सवाल इसी बात को लेकर है कि आखिर ऐसा क्या हुआ कि दो युवाओं की कायमाब जोड़ी इस चुनाव के ऐन मौके पहले टूट गई? दोनों के बीच ऐसा क्या हुआ कि गोदारा भाटी को छोड़कर चले गए?गोदारा बोले- मेरे एक भाई कांग्रेसी, एक निर्दलीय खुद अशोक गोदारा ने कई राज खोले हैं. मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक गोदारा ने बीजेपी में शामिल होने पर कहा कि वे भाजपा की विचारधारा से पहले ही प्रभावित थे. पहले इस परिवार से जुड़े नहीं थे, अब इस परिवार से जुड़ गए हैं. विचारधारा की लड़ाई है. साथ ही रविंद्र सिंह भाटी से दूरी को लेकर कहा कि जब पति-पत्नी की अलग पार्टी हो सकती है तो हम दोनों की क्यों नहीं, बस विचारधारा की बात है. मेरे एक भाई कांग्रेसी तो मैं खुद भाजपा से हूं और एक भाई (रविंद्र सिंह) निर्दलीय हैं.गोदारा ने कहा कि मेरा उनसे कोई मनमुटाव नहीं है. मैंने कौनसी उनसे विधायकी मांग ली. वो विधायक हैं और विधायक रहेंगे. हमारी को संपत्ति को लेकर लड़ाई नहीं है. बाकी छोटी-मोटी बातें होती रहती है. उन्होंने भाटी से भाजपा के मुकाबले को लेकर कहा कि मैं उन्हें शुभकामनाएं देता हूं कि वे आगे बढ़े और चुनाव में विजयी हो. मैं बाड़मेर से चुनाव नहीं लड़ रहा हूं. बाड़मेर-जैसलमेर से राष्ट्रवाद चुनाव लड़ रहा है. कमल का फूल चुनाव नहीं लड़ रहा है.