Categories
Vote / Poll
BJP और Congress के बीच क्या Rajasthan में Aam Aadmi Party अपनी जगह बना पाएगी ?
Vote / Poll
डेगाना विधानसभा क्षेत्र से आप किसको भाजपा का जिताऊँ प्रत्याशी मानते है ?
Vote / Poll
कर्नाटक का मुख्यमंत्री किसे बनाया जा सकता है?
Vote / Poll
फिल्मों के विवादित होने के क्या कारण हैं?
Recent Posts
Newsletter
Subscribe to our mailing list to get the new updates!
Recommended Posts
Featured Posts
सुप्रीम कोर्ट से शिंदे को राहत, शिवसेना का नाम-निशान इस्तेमाल करने की छूट
- February 22, 2023 Author : Team Fact India JP
The Fact India: चुनाव आयोग के फैसले के खिलाफ उद्धव ठाकरे की याचिका पर सुप्रीम कोर्ट ने बुधवार को सुनवाई की। चुनाव आयोग के फैसले पर उच्चतम न्यायालय ने रोक नहीं लगाया। कोर्ट ने शिंदे और उद्धव गुट को नोटिस जारी कर दो हफ्ते में जवाब मांगा है।
सीजेआई डीवाई चंद्रचूड़, जस्टिस पीएस नरसिम्हा और जस्टिस जेबी पारदीवाला की बेंच ने कहा कि चुनाव आयोग के सामने शिंदे गुट ने खुद को साबित किया है। हम चुनाव आयोग के आदेश पर रोक नहीं लगा सकते हैं। कोर्ट ने उद्धव कैंप को मिले अस्थायी नाम और चुनाव निशान का इस्तेमाल जारी रखने के लिए कहा। बेंच ने यह आदेश 26 फरवरी को होने वाले महाराष्ट्र विधानसभा उपचुनाव को देखते हुए दिया है।
कोर्ट ने शिंदे गुट को भी किसी तरह के व्हिप नहीं जारी करने को कहा। इस पर शिंदे गुट के वकील नीरज किशन कौल ने सहमति जताई। उद्धव गुट की ओर से कपिल सिब्बल ने पैरवी की। उन्होंने बेंच से कहा कि पार्टी के कार्यालयों और बैंक खातों को शिंदे समूह द्वारा लिया जा रहा है। ऐसे में कोर्ट यथास्थिति बनाए रखने का आदेश दे। हालांकि बेंच ने इसे मानने से इनकार कर दिया।
शिंदे पक्ष के वकील नीरज किशन कौल ने कहा कि चुनाव आयोग के फैसले के खिलाफ सुनवाई हाई कोर्ट में होनी चाहिए। इन्हें सीधे सुप्रीम कोर्ट में बात रखने की इजाजत नहीं मिलनी चाहिए। कौल ने कहा कि इन्होंने पहले भी सुप्रीम कोर्ट से चुनाव आयोग की कार्रवाई पर रोक की मांग की थी, जो नहीं मिली थी। अब फिर कह रहे हैं कि सुप्रीम कोर्ट में विवाद के बाकी मामले लंबित हैं, इसलिए इसे भी सुनिए। लेकिन यह कोई आधार नहीं।
वहीं, उद्धव ठाकरे के वकील कपिल सिब्बल ने कहा कि चुनाव आयोग कह रहा है कि शिवसेना का 2018 का संविधान रिकॉर्ड पर नहीं है। इसलिए विधायक दल में बहुमत के हिसाब से सुनवाई करेंगे। यह गलत है। अगर यह भी आधार हो तो विधान परिषद और राज्यसभा में हमारे पास बहुमत है। उसकी उपेक्षा की गई।
इस पर शिंदे गुट के वकील नीरज किशन कौल ने कहा कि 2018 में एक पार्टी संविधान बना दिया गया कि सारे अधिकार अध्यक्ष के पास ही रहेंगे। इसकी जानकारी चुनाव आयोग को नहीं दी गई। उन्होंने आगे कहा कि सिर्फ अयोग्यता की कार्रवाई लंबित होना किसी विधायक को सदन के कामकाज से अलग नहीं करता। चुनाव आयोग के वकील मनिंदर सिंह ने कहा कि आयोग ने सुप्रीम कोर्ट की तरफ से रोक न लगाने के बाद अपना काम किया। दोनों पक्षों ने खुद को असली पार्टी बताया। आयोग विस्तार से सुनवाई कर फैसला लिया है।
- Post By Team Fact India