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सरकारी स्कूलों में मिड-डे मील होगा पारदर्शी, स्कूलों को खपत की जानकारी ऐप पर देनी होगी
प्रदेश की सरकारी स्कूलों में कक्षा 1 से आठवीं तक विद्यार्थियों को दिए जा रहे मिड डे मील की खपत और छात्र-छात्राओं को दिए जा रहे पोषाहार पर उठ रहे सवाल को पारदर्शी बनाने के लिए मिड डे मील आयुक्तालय की ओर से एक नए नवाचार करते हुए 'राज सिम्स' नाम से एक एप्लीकेशन तैयार की गई है. इस एप्लीकेशन के माध्यम से प्रदेश के हर सरकारी स्कूल के मिड डे मील प्रभारी और संस्था प्रधान प्रतिदिन स्कूल में उपयोग किए गए गेहूं और चावल की मात्रा इस एप्लीकेशन के माध्यम से ऑनलाइन फीड करेंगे और इसके साथ ही स्कूल में बचे हुए अन्य खाद्य सामग्री की जानकारी भी अपलोड करेंगे.
विभाग की ओर से 'राज सिम्स ऐप' शुरू करने से सरकारी स्कूलों के मिड डे मील पर सरकार और विभाग की सीधी मॉनिटरिंग हो पाएगी. जिससे यह पता लगाया जा सकता है कि किस स्कूल में कितना पोषाहार रोजाना उपयोग में लिया जा रहा है. इसके साथ ऐप के माध्यम से यह भी पता लग जाएगा की कौन से स्कूल में कक्षा एक से आठवीं तक के विद्यार्थी स्कूल में उपस्थित रहे हैं और कितने विद्यार्थियों ने पोषाहार खाया है. मिड डे मील प्रभारी और संस्था प्रधान को अप के माध्यम से सारी जानकारी प्रतिदिन ऑनलाइन अपलोड करनी पड़ेगी. अगर ऐसा नहीं किया जाता है तो संबंधित कर्मचारियों को विभाग की ओर से नोटिस देने की प्रक्रिया भी है.
पोषाहार से जुड़ी हर जानकारी देनी होगी
जिले में मिड डे मील की जानकारी अपलोड करने के साथ ही कक्षा 1 से आठवीं तक के विद्यार्थियों को बाल गोपाल योजना के तहत दिए जाने वाले मिल्क पाउडर की जानकारी भी ऑनलाइन दर्ज करनी होगी. जिससे मिड डे मील और बाल गोपाल योजना की पारदर्शिता भी बनी रहेगी. ज्ञात रहे कि सरकारी स्कूलों में मिड डे मील में कक्षा 1 से पांचवी तक 100 ग्राम गेहूं व चावल तथा कक्षा 6 से आठवीं तक के विद्यार्थियों को डेढ़ सौ ग्राम गेहूं या चावल मिड डे मील में खाने के लिए भरोसा जाता है. इस मात्रा के आधार पर रोजाना स्कूल आने वाले विद्यार्थियों की उपस्थिति के अनुसार ही नापतोल कर पोषाहार पकाया जाएगा. जिससे खाद्यान्न सामग्री के दुरुपयोग पर भी रोक लगा सकेगी