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आप पार्टी ने किया यूनिफॉर्म सिविल कोड का समर्थन; बोली- संविधान के आर्टिकल 44 में देश में यूसीसी का जिक्र, इसमें आम सहमति जरूरी
The Fact India: यूनिफॉर्म सिविल कोड (यूसीसी) के मुद्दे पर मोदी सरकार को आम आदमी पार्टी (आप) का समर्थन मिला है। बुधवार को आप पार्टी के सांसद संदीप पाठक ने कहा है कि हम यूनिफॉर्म सिविल कोड का समर्थन करते हैं। संविधान के आर्टिकल 44 कहता है कि देश में यूसीसी होना चाहिए। संदीप ने कहा कि इसके लिए सभी धर्मों के लोगों, राजनीतिक पार्टियों और संगठनों के लोगों से सलाह-मशविरा कर आम सहमति बनाई जानी चाहिए।
लॉ कमीशन के चेयरमैन जस्टिस ऋतुराज अवस्थी का कहना है कि कमीशन ने यूनिफॉर्म सिविल कोड (यूसीसी) पर आम जनता की राय मांगी है। कमीशन को नोटिफिकेशन जारी करने से लेकर अब तक 8.5 लाख रिस्पॉन्स मिल चुके हैं। यूसीसी नया मुद्दा नहीं है।
यह मामला 2016 में मिला था, इस पर 2018 में एक कंसल्टेशन पेपर भी जारी किया गया था। यूसीसी को लेकर लॉ कमीशन ने कंसल्टेशन प्रोसेस शुरू कर दी है। बता दें कि लॉ कमीशन ने हाल ही में देशद्रोह से जुड़ी हुई धारा 124 ए को इंडियन पीनल कोड (आईपीसी) में बरकरार रखने की सिफारिश भी की है।
दरअसल, मध्य प्रदेश की राजधानी भोपाल में मंगलवार (27 जून) को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने वर्चुअली भाजपा के 10 लाख बूथ कार्यकर्ताओं को संबोधित किया था। इस दौरान पीएम मोदी ने देश में यूनिफॉर्म सिविल कोड (यूसीसी) जल्द लागू करने की वकालत की। मोदी ने कहा था कि पसमांदा मुस्लिम राजनीति का शिकार हुए हैं। यूनिफॉर्म सिविल कोड पर लोगों को भड़काया जा रहा है। एक घर दो कानूनों से नहीं चल सकता। भाजपा यह भ्रम दूर करेगी।
पीएम मोदी के इस बयान के बाद कांग्रेस, एआईएमआईएम चीफ असदुद्दीन ओवैसी समेत विपक्ष के कई नेताओं ने इसे मुख्य मुद्दों से ध्यान भटकाने वाला बताया। वहीं, ऑल इंडिया मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड (एआईएमपीएलबी) ने मंगलवार रात वर्चुअली इमरजेंसी मीटिंग बुलाई। 3 घंटे तक चली मीटिंग में बोर्ड ने यूसीसी के प्रस्तावित कानून का विरोध करने का फैसला किया।
वर्चुअल मीटिंग के दौरान एआईएमपीएलबी अध्यक्ष सैफुल्लाह रहमानी, इस्लामिक सेंटर ऑफ इंडिया के अध्यक्ष और एआईएमपीएलबी मेंबर मौलाना ख़ालिद रशीद फरंगी महली, एआईएमपीएलबी के वकील सहित अन्य लोग मौजूद थे। मौलाना ख़ालिद रशीद ने कहा कि हमने एक ड्रॉफ्ट तैयार किया है, जिसमें शरीयत कानूनों का जिक्र है। इसे जल्द ही लॉ कमीशन को भेजा जाएगा। हम लॉ कमिशन के सामने अपना पक्ष प्रभावी ढंग से रखेंगे।