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खालिस्तानी विवाद को लेकर कोलकाता में सिखों का प्रदर्शन, कांग्रेस ने कहा- भाजपा नेता मांगें माफी
पश्चिम बंगाल के उत्तर 24 परगना जिले में स्थित संदेशखाली गांव इन दिनों चर्चा में है। गांव की महिलाओं ने आरोप लगाया है कि टीएमसी नेता ने उनकी जमीन पर कब्जा करने के साथ-साथ कुछ महिलाओं के साथ यौन शोषण भी किया है। बंगाल की पूरी सियासत अभी संदेशखाली के ईर्दगिर्द भटक रही है। यह गांव सियासी जंग का मैदान बना हुआ है। इस बीच, भाजपा नेता द्वारा एक सिख अधिकारी को कथित तौर पर खालिस्तानी बुलाए जाने का मामला भड़क गया है। सिख समुदाय से जुड़े करीब 200 लोगों ने बुधवार को शहर में भाजपा कार्यालय के सामने प्रदर्शन किया।
दरअसल, सिखों का आरोप है कि भाजपा के वरिष्ठ नेता शुभेंदु अधिकारी को संदेशखाली का दौरा करने से रोकने पर धमखाली में तैनात एक सिख आईपीएस अधिकारी को भाजपा कार्यकर्ताओं के एक समूह ने कथित तौर पर खालिस्तानी कहा। हालांकि भाजपा नेताओं ने इन आरोपों को नकार दिया है।
भाजपा सार्वजनिक रूप से माफी मांगे: अधीर रंजन
पश्चिम बंगाल कांग्रेस के अध्यक्ष अधीर रंजन चौधरी ने कहा, 'बंगाल में भाजपा नेताओं ने एक पुलिस अधिकारी को खालिस्तानी कहकर उसका अपमान किया है। मैं इसकी निंदा करता हूं। वे बंगाल की संस्कृति से अवगत नहीं हैं। हम भी संदेशखली जाना चाहते थे , लेकिन हमें रोक दिया गया। इसका मतलब यह नहीं है कि किसी भी अधिकारी को उसके धर्म के आधार पर निशाना बनाया जाना चाहिए। आईपीएस जसप्रीत सिंह इस तरह की भाषा से अपमानित महसूस कर रहे होंगे। कांग्रेस भी बंगाल पुलिस की आलोचना करती है, लेकिन हम ऐसी टिप्पणी नहीं करते। भाजपा को इसके लिए सार्वजनिक रूप से माफी मांगनी चाहिए।'
आरोप सरासर गलत: कौशल किशोर
केंद्रीय मंत्री कौशल किशोर ने कहा, 'ममता बनर्जी बस संदेशखली घटना से लोगों का ध्यान हटाकर ऐसे मुद्दों की ओर ले जाना चाहती हैं, जैसे- भाजपा का कहना है कि जो लोग पगड़ी पहनते हैं वो खालिस्तानी हैं। यह बयान सरासर गलत है। भाजपा ने कभी ऐसा नहीं कहा। वे विशेष घटना के बारे में कुछ नहीं कह रहे हैं। बल्कि जो पत्रकार सच्चाई सामने लाने का काम कर रहे हैं, उसका साथ देने के बजाय उनको जेल में डाला जा रहा है। इससे पता चलता है कि कैसे उनके नेतृत्व में लोकतंत्र के चौथे स्तंभ पर हमला हुआ है।'
यह है पूरा मामला
रिपोर्ट के अनुसार, आईपीएस अधिकारी जसप्रीत सिंह को भाजपा कार्यकर्ताओं से यह कहते हुए सुना गया था, ‘सिर्फ इसलिए कि मैंने पगड़ी पहनी है, आप लोग मुझे खालिस्तानी कह रहे हैं? क्या आपने यही सीखा है? यदि कोई पुलिस अधिकारी पगड़ी पहनता है और अपना कर्तव्य ईमानदारी से निभाता है, तो वह आपके लिए खालिस्तानी बन जाता है? आपको शर्म आनी चाहिए। मैं तो बस अपना काम कर रहा हूं। क्या मैंने आपके धर्म के बारे में कुछ कहा? आप मेरे धर्म के बारे में क्यों बोल रहे हैं?’
इस पर शुभेंदु अधिकारी के साथ मौजूद भाजपा विधायक अग्निमित्र पॉल ने दावा किया कि पुलिस अधिकारी अपने कर्तव्यों का पालन नहीं कर रहे थे। साथ ही इस आरोप को खारिज कर दिया कि भाजपा समर्थकों ने उन्हें खालिस्तानी कहा। पॉल ने कहा कि वह सिर्फ एक मुद्दा बनाने की कोशिश कर रहे हैं। उन्हें न तो किसी ने गाली दी और न ही उनके लिए खालिस्तानी शब्द का इस्तेमाल किया गया।
भाजपा कार्यालय के बाहर प्रदर्शन
भाजपा कार्यालय के पास प्रदर्शन कर रहे एक शख्स ने कहा, 'अपनी फसलों के लिए बेहतर समर्थन मूल्य की मांग कर रहे किसानों को भी भाजपा नेता खालिस्तानी बता रहे हैं। इतना ही नहीं, पंजाब के रहने वाले एक पुलिसकर्मी को भी अपना कर्तव्य निभाने के लिए इसी तरह का लेबल दिया गया है। प्रदर्शनकारी ने आगे कहा, 'हम सभी भारतीय हैं। कोई भी हमारी देशभक्ति, हमारे बलिदान, देश के लिए हमारे प्यार पर सवाल नहीं उठा सकता। पगड़ी पहनना हमारा धार्मिक अधिकार है। हमारे पगड़ी पहने से हमें खालिस्तानी क्यों बताया जाना चाहिए? हम भाजपा, प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह से इस मुद्दे पर माफी की मांग करते हैं।'
सीएम ममता का वार
इसके अलावा, पश्चिम बर्धमान जिले के आसनसोल में भी इसी तरह का विरोध-प्रदर्शन हुआ। इस बीच पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने कहा कि भाजपा की विभाजनकारी राजनीति ने बड़ी ही निर्लज्जता के साथ संवैधानिक सीमाओं को लांघ दिया है।’
हालांकि, शुभेंदु अधिकारी ने आरोपों से इनकार कर दिया है। टीएमसी पर संदेशखली के घटनाक्रम से ध्यान हटाने का आरोप लगाया।