Dark Mode

Vote / Poll

BJP और Congress के बीच क्या Rajasthan में Aam Aadmi Party अपनी जगह बना पाएगी ?

View Results
अब जनता कांग्रेस-भाजपा से परेशान हो चुकी है
30%
'आप' की वजह से कांग्रेस और भाजपा में चिंता है
11%
केजरीवाल राजस्थान में कामयाब नहीं हो पाएंगे
90%
राजस्थान में भी 'आप' की सरकार बननी चाहिए
70%
Total count : 143

Vote / Poll

डेगाना विधानसभा क्षेत्र से आप किसको भाजपा का जिताऊँ प्रत्याशी मानते है ?

अजय सिंह किलक
56%
शिव देशवाल
26%
अन्य
18%
Total count : 7528

Vote / Poll

कर्नाटक का मुख्यमंत्री किसे बनाया जा सकता है?

View Results
सिद्देरमैया
67%
डीके शिवकुमार
17%
मल्लिकार्जुन खड़गे
11%
बता नहीं सकते
6%
Total count : 18

Vote / Poll

फिल्मों के विवादित होने के क्या कारण हैं?

View Results
समुदाय विशेष को टारगेट करना
38%
राजनीतिक लाभ लेने के लिए
15%
फिल्मों को हिट करने के लिए
38%
कुछ बता नहीं सकते
8%
Total count : 13

Newsletter

Subscribe to our mailing list to get the new updates!

अग्नि के नहीं बरगद के पेड़ के लिए फेरे, मीणा समाज के नए नियम के तहत हुआ विवाह

अग्नि के नहीं बरगद के पेड़ के लिए फेरे, मीणा समाज के नए नियम के तहत हुआ विवाह
Pooja Parmar
May 15, 2025

करौली जिले के करणपुर क्षेत्र के कैमोखरी गांव में 12 मई को एक अनूठा और प्रेरणादायक विवाह संपन्न हुआ, जो पर्यावरण संरक्षण और परंपरा का अद्भुत संगम रहा. दुल्हन विनीता मीणा और दूल्हे सत्येंद्र मीना की शादी धराड़ी प्रथा के अनुसार कराई गई, जो जिले में अपनी तरह की पहली शादी हुई है.

मीणा महापंचायत के बाद बदला फैसला 

यह विवाह जोहार जागृति मंच आदिवासी मिशन और मीना महापंचायत द्वारा तय 14 नियमों के अंतर्गत संपन्न हुआ. शादी में पाखंड और दिखावे से दूर रहते हुए पर्यावरण के प्रति प्रेम को प्राथमिकता दी गई. विवाह स्थल पर मंडप में नीम और बरगद के पौधे रखे गए, जिन्हें धराड़ी यानी साक्षी मानकर सात फेरे लिए गए. शादी के अगले दिन इन्हीं पौधों को दूल्हा-दुल्हन ने अपने घर के आंगन में रोपित किया.

क्या है धराड़ी प्रथा ? 

धराड़ी आदिवासी समुदाय की एक परंपरा है, जिसमें एक विशेष पेड़ या स्थान को मातृशक्ति और प्रकृति का प्रतीक मानते हुए पूजा जाता है. विवाह में धराड़ी पेड़ को साक्षी मानकर दूल्हा-दुल्हन फेरे लेते हैं और एक-दूसरे से जल, जंगल और जमीन की रक्षा का संकल्प करते हैं. यह विवाह न केवल पर्यावरण संरक्षण का संदेश देता है, बल्कि आदिवासी संस्कृति की गहराई और सोच को भी उजागर करता है.

अनोखी शादी बनी आकर्षक का केंद्र

इस अनोखी शादी में बारातियों को भी विदाई में पौधे भेंट किए गए, ताकि वे भी पर्यावरण संरक्षण का संदेश अपने साथ ले जाएं. इस अवसर पर सवाई माधोपुर के खंडार क्षेत्र के बड़ौद गांव से बारात आई थी. दुल्हन विनीता ने धराड़ी प्रथा की पारंपरिक भाषा में छपा हुआ विवाह निमंत्रण पत्र भी जारी किया, जो सबके आकर्षण का केंद्र रहा.

अग्नि के नहीं बरगद के पेड़ के लिए फेरे, मीणा समाज के नए नियम के तहत हुआ विवाह