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राजस्थान कांग्रेस प्रभारी सुखजिंदर सिंह रंधावा ने जयपुर में विधायकों से फीडबैक लेना शुरु कर दिया है. लेकिन सचिन पायलट अपने दौरे के लिए सुबह ही निकल गए. पायलट का प्रोग्राम पहले से ही तय था. सचिन पायलट के इस दौरे को उस वक्त खास माना जा रहा है जब खुद राजस्थान कांग्रेस प्रभारी जयपुर में है और टोंक के विधायकों से फीडबैक लिया जाना था लेकिन पायलट आज ही अपने कार्यक्रम में बिजी हो गए.
आपको बता दें कि, शेड्यूल के मुताबिक सचिन पायलट सुबह शाहपुरा पहुंचकर एक धार्मिक अनुष्ठान में भाग लिया.और उसके बाद झुंझुनू के खेतड़ी में शहीद श्योराम गुर्जर की मूर्ति का अनावरण किया. इस दौरान पायलट के समर्थत विधायक इंद्राज गुर्जर भी उनके साथ मौजूद रहे. एक जनसभा को संबोधित करते हुए कहा कि, जब हम आपस में खंडित होते हैं. तो कभी हम लोग आगे नहीं बढ़ पाएंगे. और जो लोग दरार डालना चाहते हैं उन लोगों से हमें बचकर रहना पड़ेगा. बहुत सी शक्तियां हैं जो दरार डालना चाहती हैं. साथ ही कहा कि, हमारे देश का इतिहास काफी पुराना है. इतिहास से सीख लेकर चुनौतियां का सामना करना है. समय के साथ चुनौतियां बढ़ती जाती हैं उन चुनौतियों का सामना करने के लिए हम लोगों को संकल्पित होना पड़ेगा. सच्चाई का रास्ता बहुत लंबा है, कठिन है, मुश्किलों से भरा हुआ है, गतिरोध पैदा होंगे, रुकावटें आएगी लेकिन हमें - आगे बढ़ना हैं.
उनके कार्यक्रम में उमड़ी जबरदस्त भीड़ कहीं न कहीं कांग्रेस आलाकमान के लिए एक सबक हो सकती है. पायलट की ताकत का अंदाजा को आलाकमान को अनशन में ही लग गया था. यही वजह रही कि, बार बार पायलट के अनशन को पार्टी विरोधी बताए जाने के बाद भी आलाकमान पायलट पर कार्रवाई नहीं कर पाया. हर बार ऐसा होता था कि, राजस्थान में चली खींचतान के बाद पायलट दिल्ली जाते और फिर शांत हो जाते. लेकिन इस बार ऐसा नहीं हुआ. पायलट दिल्ली तो गए लेकिन उसके बाद भी वे शांत नहीं बैठे बल्कि अपने प्लान पर टिके रहे. अब सचिन पायलट ने आलाकमान को सफाई देने की बजाय जनता के बीच जाने का फैसला कर लिया है. इससे ऐसा लग रहा हा कि, पायलट बड़ा संदेश देना चाह रहे हैं.
उमड़ी भारी भीड़ के बाद एक बार फिर सचिन पायलट आलाकमान को ये मेसेज देने में कामयाब हुए है कि, धरातल पर वे कितने मजबूत हैं और उनके भृष्टाचार के खिलाफ उनके अनशन का जनता में कैसा मेसेज गया है. जाहिर है पायलट ने अपनी तैयारी शुरू कर दी है. वे मन बना चुके हैं कि, आलाकमान से बातचीत में समय बर्वाद करने से अच्छा हैं जनता के बीच जाओ और अपने कोर वोटर्स को साधने का प्रयास करो. पायलट का ये प्रयास सफल होता भी दिखाइ दे रहा है. लेकिन पायलट के इस कदम का आलाकमान पर क्या असर होगा और आलाकमान पायलट को लेकर क्या कदम उठाता है ये तो समय ही बताएगा.