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Rajasthan : अपनी योजना की असलियत भी जान लो सरकार…
- March 22, 2022 Author : Team Fact India JP
The Fact India : कोई भी राजनीति दल जब कहीं भी या कहें… किसी भी राज्य या फिर केन्द्र में सत्ता हासिल करता है तो पब्लिक के लिए कई योजनाओं की शुरूआत की जाती है. दरअसल यहां सरकार का मानना होता है कि वो अगर लाभकारी योजनाओं की शुरूआत करती है तो जाहिर है जनता को उसका फायदा होगा. परम्पराएं पुरानी है कोई नई बात नहीं. और कुछ इसी तर्ज पर राजस्थान (Rajasthan) की गहलोत सरकार ने पब्लिक के हितों के लिए और उनके फायदे के लिए कई योजनाओं की शुरूआत की है. इन योजनाओं में एक है चिरंजीवी योजना. जिसमें लोगों को मुफ्त इलाज की सुविधाएं प्रदान की गई हैं.
राजस्थान (Rajasthan) में लाखों लोगों ने इस योजना में अपना पंजीकरण भी कराया हुआ है. जाहिर है हर व्यक्ति चाहता है कि उसके परिवार को इलाज में राहत मिले और सरकार का भी मकसद यही होता है. अब इस मसले पर भी बात होगी, लेकिन उससे पहले सरकार की एक नई राहत पर भी चर्चा कर लेते हैं जिसमें सरकार की ओर से राजस्थान के किसी भी शहर में डॉक्टर को दिखाने के लिए अब लोगों को ई-मित्र के जरिए ऑनलाइन अपॉइंटमेंट मिल सकेगा. गहलोत सरकार ने टेली-मेडिसिन सर्विस के तहत इसकी शुरुआत करने की घोषणा की है. ये सर्विस जल्द ही प्रदेश के सभी ई-मित्र केन्द्रों पर शुरू हो जाएगी. खास बात ये है कि इसमें अपॉइंटमेंट लेने वाले मरीज या उसके परिजन के पास आगे से फोन आएगा और उन्हें डॉक्टर से मिलने का दिन व समय बताया जाएगा. जयपुर, कोटा, उदयपुर, बीकानेर, जोधपुर समेत तमाम बड़े शहरों के 5 हजार सरकार और प्राइवेट डॉक्टर्स को इस सर्विस में शामिल किया है. इस सूची में गेस्ट्रोलॉजी के विशेषज्ञ डॉ. संदीप निजावन, शिशु रोग विशेषज्ञ एवं जेके लॉन हॉस्पिटल जयपुर में रेयर डिजीज के इंचार्ज डॉ. अशोक गुप्ता, डायबिटीज के विशेषज्ञ डॉ. प्रकाश केसवानी, ह्रदय रोग विशेषज्ञ डॉ. संजीव रॉय, महिला रोग विशेषज्ञ डॉ. लीना व्यास समेत कई नामी डॉक्टर्स को शामिल किया गया है.
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जाहिर है योजना अच्छी है और लोगों को शायद इससे राहत भी मिल सकेगी. अब शायद इसलिए कि सरकार ने तो अपनी योजना बना दी, तमाम नियम—कायदे भी बता दिए लेकिन सवाल ये कि क्या वाकई इससे मरीजों और उनके परिजनों को राहत मिल पाएगी. अब ये सवाल क्यों सामने आ रहा है उसकी भी वजह है. दरअसल जिस तरह सरकार (Rajasthan) ने चिरंजीवी योजना शुरू की हुई है और इस सूची में राजस्थान के काफी तादाद में निजी अस्पताल भी शामिल किए गए हैं, लेकिन असल में उनकी हकीकत क्या है, ये जानना भी बेहद जरूरी है. अब कागजी आंकड़ों या फिर आदेशों को छोड़ दें और असलियत पर आ जाएं तो पता चलता है कि राजस्थान काफी निजी अस्पताल तो इस योजना के तहत मरीजों का इलाज ही नहीं करते. आप चाहे इस योजना में पंजीकृत हों लेकिन फिर भी कई निजी अस्पताल आपका इलाज ही नहीं करते. वो सीधे तौर पर इन्कार कर देते हैं और हालात तो यहां तक है कि कई अस्पतालों के रिस्पेशन पर तो एक फार्म भी मरीज के परिजनों से भरा लिया जाता है जिसमें साफ तौर पर ये लिखा लिया जाता है कि हम चिरंजीवी योजना का लाभ नहीं लेना चाहते. और यहां इसलिए ऐसा किया जाता है कि ताकि सरकार उन अस्पतालों से कोई सवाल ही ना कर सके, क्योंकि अगर सवाल होता है तो अस्पताल वो फार्म और मरीज के परिजनों की असहमति सरकार (Rajasthan) को दिखा सकते हैं. अब जाहिर है जब मरीज गंभीर हालात में होता है और परिजन उसे लेकर निजी अस्पताल पहुंचता है तो फिर उसका मुख्य मकसद यही होता है कि बस किसी भी तरह उसके मरीज का इलाज हो जाए और इसी का फायदा आज भी काफी निजी अस्पताल संचालक उठा रहे हैं. अब ऐसा नहीं कि सरकारी नुमाइंदों को इसकी जानकारी नहीं होती, पता सब होता है लेकिन कार्रवाई कुछ नहीं होती. तो सवाल ये ही कि अब वो मरीज और उनके परिजन कहां जाए. अब जो पैसे वाले हैं वो तो किसी भी तरह अपने मरीज का इलाज करा सकते हैं लेकिन जो सरकार की योजनाओं पर ही आधारित होते हैं तो उनका क्या. तो बात ये ही कि सरकार योजना बनाने में तो देर नहीं करती और कुछ इसी तर्ज पर अब डॉक्टरों की सूचि पर जारी कर दी गई, उनका परामर्श शुल्क भी तय कर दिया गया लेकिन सवाल ये कि क्या हकीकत में ऐसा हो पाएगा. सवाल ये ही कि अगर कोई डॉक्टर ऐसा नहीं करता है तो क्या सरकार उसके खिलाफ कार्रवाई करेगी और सवाल ये भी क्या डॉक्टर्स इसके लिए दिल से तैयार हो पाएंगे. वाकई अगर सरकार की ओर से जवाब मिले तो बेहतर होगा.
-प्रदीप आजाद
- Post By Team Fact India