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लोकसभा में महिला आरक्षण बिल होगा पेश, प्रह्लाद पटेल ने दी जानकारी; बोले- कैबिनेट मीटिंग में इसे दी गई मंजूरी, नहीं मिली ऑफिशिलय ब्रीफिंग
The Fact India: संसद के विशेष सत्र के दूसरे दिन मंगलवार (19 सितंबर) को लोकसभा में महिला आरक्षण बिल पेश किया जाएगा। इसकी जानकारी केंद्रीय मंत्री प्रह्लाद पटेल ने सोशल मीडिया एक्स पर पोस्ट करके दी है। हालांकि केंद्रीय मंत्रिमंडल की बैठक के बाद ऑफिशियल ब्रीफिंग नहीं दी गई। राज्यसभा में ये बिल 2010 में ही पास हो चुका है। इसमें महिलाओं को 33 प्रतिशत आरक्षण देने का प्रावधान है। ये बिल लोकसभा से पास हुआ तो अगले लोकसभा चुनाव के बाद सदन में हर तीसरी सदस्य महिला होगी।
कांग्रेस सांसद राहुल गांधी ने कहा कि अब दलगत राजनीति से ऊपर उठें। हम महिला आरक्षण बिल पर बिना शर्त के समर्थन करेंगे। संसद के स्पेशल सेशन के पहले दिन जब पीएम मोदी के बाद कांग्रेस सांसद अधीर रंजन चौधरी लोकसभा में बोल रहे थे। उन्होंने कांग्रेस की पूर्व सरकारों के कामों को गिनाया। इस दौरान सोनिया ने उन्हें टोका और महिला आरक्षण पर बोलने को कहा।
स्पेशल सेशन के बीच सोमवार की शाम को केंद्रीय मंत्रिमंडल की बैठक हुई। बैठक समाप्त होने के बाद ऑफिशियल ब्रीफिंग नहीं आई। लेकिन केंद्रीय मंत्री प्रह्लाद पटेल ने एक्स पर पोस्ट करके बताया कि महिला आरक्षण बिल को कैबिनेट ने मंजूरी दे दी है।
यह आरक्षण लोकसभा और राज्य विधानसभाओं में लागू होगा। बिल पास होने के बाद राष्ट्रपति के पास स्वीकृति के लिए जाएगा। कानून बनने के बाद होने वाले चुनावों में ये बिल लागू हो जाएगा।
कैबिनेट बैठक के बाद भाजपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष जेपी नड्डा के घर 30 सांसदों के साथ दो घंटे तक बैठक हुई। सूत्रों के मुताबिक, बैठक में सांसद गौतम गंभीर, मीनाक्षी लेखी, महेश शर्मा, किरन रिजिजू आदि शामिल हुए।
नड्डा ने कहा कि पिछली बार जब लोकसभा में महिला आरक्षण बिल लाया गया था, तो काफी विवाद की स्थिति बनी थी इसलिए इस बार सांसदों को ब्रीफिंग दी गई है कि इस तरह कोई स्थिति ना बनने पाए। सांसद सुनिश्चित करें कि बिल पर चर्चा बिना किसी हंगामे के हो।
तेलंगाना सीएम केसीआर की बेटी के. कविता ने 13 सितंबर को दिल्ली में 13 विपक्षी दलों के साथ बैठक की थी। इस दौरान उन्होंने संसद में बजट सत्र के दूसरे चरण में वुमन रिजर्वेशन बिल पेश करने की मांग की थी। कविता ने कहा था कि उनकी पार्टी भारत राष्ट्र समिति (बीआरएस) का विश्वास है कि महिलाओं के लिए रिजर्वेशन के साथ-साथ कोटा के भीतर कोटा पर भी काम किया जाना चाहिए।
वहीं, सपा और राष्ट्रीय जनता दल (आरजेडी) की मांग है कि लोकसभा और राज्यसभा में मौजूदा रिजर्वेशन बिल में से एक तिहाई सीट का कोटा पिछड़े वर्गों (ओबीसी) और अनुसूचित जातियों (एससी) की महिलाओं के लिए होना चाहिए।
9 मार्च, 2010 को राज्यसभा में महिलाओं के लिए 33 फीसदी आरक्षण बिल को बहुमत से पारित कर दिया गया था। तब सपा और आरजेडी ने तत्कालीन यूपीए सरकार से समर्थन वापस लेने की धमकी दे दी थी। इसके बाद बिल को लोकसभा में पेश नहीं किया गया। तभी से महिला आरक्षण बिल पेंडिंग है।