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महिला आरक्षण बिल लोकसभा से पास, कल राज्यसभा में पेश होगा; राहुल बोले- ओबीसी आरक्षण के बिना अधूरा, शाह ने कहा- इतनी जल्दी क्या


The Fact India: संसद के लोकसभा से बुधवार को महिला आरक्षण बिल (नारी शक्ति वंदन विधेयक) पास हो गया। विधेयक के पक्ष में 454 वोट पड़े, जबकि दो वोट विरोध में डाले गए। वोटिंग पर्ची से हुई। अब गुरुवार (21 सितंबर) को यह बिल राज्यसभा में पेश होगा। राज्यसभा से बिल पास होने के बाद राष्ट्रपति के हस्ताक्षर के बाद यह कानून का रूप ले लेगा।
इससे पहले बिल पर चर्चा के दौरान कांग्रेस सांसद राहुल गांधी ने इस बिल में ओबीसी आरक्षण का मुद्दा उठाया। उन्होंने कहा कि बिना ओबीसी आरक्षण के यह बिल अधूरा है। इसके बाद गृहमंत्री अमित शाह ने जवाब में कहा कि यह आरक्षण सामान्य, एससी और एसटी में समान रूप से लागू होगा। चुनाव के बाद तुरंत ही जनगणना और डिलिमिटेशन होगा और महिलाएं की भागीदारी जल्द ही सदन में बढ़ेगी। विरोध करने से रिजर्वेशन जल्दी नहीं आएगा।
नारी शक्ति वंदन विधेयक पर चर्चा करते हुए कांग्रेस नेता राहुल गांधी ने कहा कि देश को चलाने वाले 90 में से सिर्फ 3 सेक्रेटरी ही ओबीसी हैं, इसके जवाब में शाह ने राहुल नाम लिए बिना कहा कि देश को सरकार चलाती है, सचिव नहीं। कोई एनजीओ चिट बनाकर दे देता है तो बोल देते हैं।
उन्होंने कहा कि कुल भाजपा सांसदों में 85 ओबीसी से हैं। कुल भाजपा विधायकों में 27 फीसदी ओबीसी से हैं। कुल भाजपा एमएलसी में 40 फीसदी ओबीसी हैं। कानून मंत्री अर्जुनराम मेघवाल ने कहा कि मैं राजनीति में आने से पहले आईएएस था। 1992 बैच का अफसर सेक्रेटरी बनेगा। उस समय किसकी सरकार थी। ये (राहुल गांधी) अपनी ही सरकार को कोस रहे हैं।
नारी शक्ति वंदन विधेयक पर चर्चा का जवाब देते हुए अमित शाह ने कहा कि महिला आरक्षण बिल युग बदलने वाला विधेयक है। कल का दिन भारतीय संसद के इतिहास में स्वर्ण अक्षरों से लिखा जाएगा। कल नए सदन का पहली बार श्री गणेश हुआ, कल गणेश चतुर्थी थी और पहली बार कई सालों से लंबित पड़े बिल को पेश किया गया। देश में एससी-एसटी के लिए जितनी सीटें आरक्षित हैं, उनमें से भी 33 प्रतिशत महिलाओं के लिए आरक्षित हो जाएंगी।
शाह ने कहा कि पहली बार ये संविधान संशोधन नहीं आया। देवेगौड़ा जी से लेकर मनमोहन जी तक चार बार प्रयास हुए। क्या मंशा अधूरी थी? सबसे पहले इस पर प्रधानमंत्री एचडी देवेगौड़ा के समय 12 सितंबर 1996 में संविधान संशोधन आया। कांग्रेस इस समय विपक्ष में थी। विधेयक को सदन में रखने के बाद गीता मुखर्जी की अध्यक्षता में समिति को दे दिया गया, लेकिन विधेयक सदन तक पहुंच ही नहीं पाया।
जब 11वी लोकसभा आई तो विधेयक लैप्स हो गया। इसके बाद 12वीं लोकसभा अटल बिहारी वाजपेयी के समय बिल आया, लेकिन ये विलोपित हो गया। 13वीं लोकसभा में अटल जी के समय फिर बिल आया, लेकिन अनुच्छेद 107 के तहत बिल विलोपित हो गया।
इसके बाद मनमोहन सिंह बिल लेकर आए, लेकिन बिल विलोपित हो गया। शाह ने कहा कि कोई पुराना बिल जीवित नहीं है। लोकसभा जब विघटित हो जाती है तो लंबित विधेयक विलोपित हो जाते हैं।
